सार्थक दुनिया न्यूज़ | कोरबा
कोरबा | छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के तहत कोरबा जिले में पावर प्लांट के लिए दक्षिण कोरिया की कंपनी देवू द्वारा अधिग्रहित जमीन को मूल भूस्वामी किसानों को वापस करने की मांग की है। उन्होंने आज जारी किए गए अपने बयान में कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में प्रावधान है कि यदि कोई कंपनी भूमि अधिग्रहण के पांच सालों के अंदर अपना उद्योग लगाने में असफल रहती है, तो अधिग्रहित जमीन उसके मूल खातेदार को लौटा दी जाएगी।
अपने बयान में छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने यह भी कहा है कि अपने-आपको दिवालिया घोषित करने के बाद देवू का वैसे भी इस जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं रह गया है। इस हिसाब से जमीन का सीमांकन कराने का उसका आवेदन पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने कहा कि कोरबा जिला प्रशासन को सीमांकन का आदेश हाई कोर्ट से नहीं मिला है।
माकपा के प्रतिनिधिमंडल ने इस क्षेत्र का दौरा कर प्रभावित ग्रामीणों से इस संबंध में विस्तृत बातचीत भी की। ग्रामीणों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि जिस जमीन का मुआवजा 27 साल पहले केवल 8.50 करोड़ रुपये दिया गया था, आज उसकी कीमत 850 करोड़ रुपयों से ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला केवल सीमांकन का नहीं है, इसका मूल मकसद भूमि पर काबिज किसानों को बेदखल करने का है, ताकि दिवालिया कंपनी इस जमीन का उपयोग रियल एस्टेट व्यापार के लिए कर सके।
किसान सभा ने राज्य सरकार से अपील की है कि आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन पर नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के पक्ष में वह आगे आएं और जिस तरह बस्तर के आदिवासियों की टाटा के लिए अधिग्रहित जमीन को वापस किया गया है, कोरबा जिले के इस मामले में भी आदिवासियों को जमीन वापसी की प्रक्रिया शुरू की जाए।
इस प्रतिनिधिमंडल में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के अध्यक्ष जवाहरसिंह कंवर, सीटू नेता एसएन बेनर्जी व भुवनेश्वर चंद्रा शामिल थे।









