“अस्पताल एक ऐसी जगह है जहां लोगों को नयी जिंदगी मिलती है। लेकिन यह घटना छत्तीसगढ़ के एक ऐसे अस्पताल की है जिसकी कुव्यवस्था के कारण चार नई जिंदगी खत्म हो गयी। मामला है छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज की, जहां वेटिंलेटर बंद होने के चलते 4 नवजात बच्चों की मौत हो गई। आपको बता दें कि इस दर्दनाक घटना के बाद बच्चों की मौत से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों के द्वारा अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है।”
सार्थक दुनिया न्यूज़, अंबिकापुर | 05, दिसंबर 2022
अंबिकापुर (सरगुजा) | छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही के कारण 4 बच्चों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है की एसएनसीयू वार्ड में करीब 4 घंटे तक बिजली गुल रही। इस कारण वार्ड के वेंटिलेटर बंद हो गए, जिससे 4 बच्चों की मौत हो गई। इस घटना के बाद एसपी, कलेक्टर समेत कांग्रेस के पदाधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं।
परिजनों ने लगाया आरोप
बच्चों की मौत से अस्पताल में हडकंप मचा हुआ है। नवजात बच्चों की मौत पर परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाए हैं कि बिजली गोल होने से ये स्थिति बनी है। अपने बच्चों को खोने के बाद उनमें आक्रोश है। उन्होंने प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।
अस्पताल प्रबंधन ने दी सफाई
परिजनों के आरोप को प्रबंधन ने खारिज कर दिया है। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि इन बच्चों में हार्ट प्रॉब्लम थी, जिनका जन्म समय से पहले हो गया था। जिसके चलते बच्चों को वेंटिलेटर पर रखा गया था। बिजली गुल होने से किसी भी प्रकार कोई समस्या नहीं हुई थी।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश
मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत की खबर पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अधिकारियों पर भड़के हैं। उन्होंने स्वास्थ्य सचिव आर प्रसन्ना को जांच के निर्देश दिए हैं। सिंहदेव ने कहा ‘सीएम से चॉपर का आग्रह किया है, चॉपर नहीं मिला तो सड़क मार्ग से तत्काल अंबिकापुर निकलूंगा.’ वहां पहुंचकर मामले की पूरी जानकारी लूंगा.
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
आपको बता दें कि साल भर पहले भी अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती 4 नवजात बच्चों की 3 घंटे के भीतर मौत हो गई थी। उस समय भी नवजात एसएनसीयू वार्ड में भर्ती थे। तब भी गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया था और अस्पताल के सामने की सड़क को जाम कर दिया था। एक साल पहली हुई इस घटना में भी अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगे थे। अब एक बार फिर बच्चों की मौत का मामला गंभीर है।