पॉजिटिव स्टोरी: एशिया का सबसे बड़ा गांव जहां पैदा हुए सबसे ज्यादा फौजी, जानें इस गांव की और भी रोचक बातें

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by Hariom Dwivedi, Gagipur (UP) | 12, March 2023

एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर में वर्तमान में 12 हजार से अधिक लोग भारतीय सेना में सैनिक से लेकर कर्नल तक के पदों पर कार्यरत हैं…


 लखनऊ, (सार्थक दुनिया) | उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले का गहमर एशिया का सबसे बड़ा गांव हैं। इसे फौजियों का गांव (village of army man) भी कहा जाता है, क्योंकि औसतन यहां के हर घर का एक सदस्य सेना से जुड़ा है। हर घर में फौजियों की तस्वीरें, वर्दियां और सेना के मेडल फौजियों के गांव की कहानी बयां करते हैं। वर्तमान में इस गांव के 12 हजार से अधिक लोग भारतीय सेना में सैनिक से लेकर कर्नल तक के पदों पर कार्यरत हैं, जबकि 15 हजार से ज्यादा भूतपूर्व सैनिक यहां रहते हैं। गांववालों का कहना है कि गहमर गांव में सैन्य सेवा की यह परम्परा प्रथम विश्व युद्ध से शुरू हुई थी जो अब तक जारी है।
 गाजीपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गंगा किनारे बसा गहमर गांव  8 वर्ग मील में फैला हुआ है। गांव की आबादी (Gahmar Population) करीब करीब डेढ़ लाख है। गहमर 22 पट्टियों यानी टोलों में बंटा हुआ है। ऐतिहासिक दस्तावेज के अनुसार, वर्ष 1530 में सकरा डीह नामक स्थान पर कुसुम देव राव ने गहमर गांव बसाया था। प्रसिद्ध कामाख्या देवी मंदिर भी गहमर में ही है, जो पूर्वी यूपी व बिहार के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र है। गांववालों का कहना है कि मां कामाख्या उनकी कुलदेवी हैं, जबकि देश सेवा उनका सबसे बड़ा फर्ज। इसीलिए गांव का हर युवा होश संभालते ही सेना में भर्ती के लिए दौड़ना शुरू कर देता है। पूरे गांव को अपने इस जज्बे को पर गर्व है।
हर जंग में शामिल होते हैं फौजी
दोनों विश्वयुद्ध की बात करें या फिर 1965 व 1971 की जंग या फिर कारगिल की लड़ाई, गहमर के फौजियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस गांव के 228 सैनिक अंग्रेजी सेना में शामिल थे, जिनमें से 21 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुये थे। इनकी याद में गहमर मध्य विद्यालय के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख लगा हुआ है। फौजियों के घर की महिलाओं का कहना है कि देश सेवा के लिए पुरुषों को वह गर्व से ड्यूटी पर भेजती हैं।
गांव में ही हैं सारी सुविधाएं
गहमर गांव में स्कूल-कॉलेज से लेकर तमाम तरह की सुविधायें उपलब्ध हैं। यहां डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय और स्वास्थ्य केंद्र हैं। गहमर रेलवे स्टेशन पर दो दर्जन से अधिक गाड़ियां रुकती हैं जिनसे रोजाना फौजी चढ़ते-उतरते हैं। पर्व-त्योहारों के मौके पर गांव में फौजियों की भारी संख्या को देखकर छावनी जैसा अहसास होता है। भूमिहार को छोड़कर गांव में सभी सभी जाति के लोग रहते हैं, लेकिन सबसे अधिक संख्या राजपूतों की है। गांव के लोगों की आय का मुख्य स्रोत नौकरी ही है।

 

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