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“Anil Agarwal ने हाल में एक पोस्ट में एक बड़े झटके के बारे में बताया है, जिसका सामना उन्हें कारोबार की शुरुआत में करना पड़ा था। उन्होंने इसे फ्यूचर में कमबैक की शुरुआत बताया है”
सार्थक दुनिया न्यूज़ | अक्टूबर 30, 2022 00.19 AM IST
Vedanta के फाउंडर एवं चेयरमैन अनिल अग्रवाल अक्सर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी जिंदगी और कारोबारी सफर के बारे में बताते रहते हैं। हाल में एक पोस्ट में उन्होंने एक बड़े झटके के बारे में बताया है, जिसका सामना उन्हें कारोबार की शुरुआत में करना पड़ा था। उन्होंने इसे फ्यूचर में कमबैक की शुरुआत बताया है। अग्रवाल ने Twitter पर लिखा है, “हमारे अंदर बचपन से ही डर बैठा रहता है। लेकिन, मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि बिजनेस में असफलता उन सबसे सबसे अच्छी चीजों में से एक है, जो आपके साथ हो सकती हैं।”
उन्होंने अपनी शुरुआती नाकामी के बारे में बताते हुए कहा कि ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी Duratube का अधिग्रहण उनके लिए महात्वाकांक्षी कदम था। लेकिन, वह एक बैंक से 30 लाख पाउंड का लोन हासिल करने में कामयाब हो गए।
वेदांता के प्रमुख ने लिखा है, “मैं और हमारी टीम इस काम को हर कीमत पर पूरा करना चाहते थे। हमने एक ब्रिटिश मैनेजिंग डायरेक्टर भी नियुक्त किया था ताकि उसे कंपनी का चेहरा बना सकें। हम इंग्लैंड में इस बड़े काम को पूरा करने जा रहे थे। हमने प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने की बजाय चीजों को खुद करने की कोशिश की। और ऐसा लगता है यहीं हमसे गलती हो गई।”
Duratube को खरीदने का अनिल अग्रवाल का फैसला फायदेमंद साबित नहीं हुआ। उन्हें इस कंपनी को 70 लाख पाउंड में बेचना पड़ा। हालांकि, इस डील से उन्हें प्रॉफिट हुआ, लेकिन कंपनी की ग्रोथ ऐसी नहीं रही, जैसी उन्होंने उम्मीद की थी। Vedanta के चेयरमैन ने कहा, “यह मेरे लिए मुश्किल वक्त था। लेकिन, जैसा कि कहा जाता है हर सेटबैक से कमबैक का रास्ता बनता है। और यहां मेरे बड़े और बेहतर कमबैक के लिए रास्ता बन रहा था। बाद में मैंने विदेश में अगली बड़ी कारोबारी कामयाबी हासिल की।”
The fear of failure is ingrained in us from a very young age. But what if I tell you that in business, failure is one of the best things that could happen to you… pic.twitter.com/Mo9OmMKP6d — Anil Agarwal (@AnilAgarwal_Ved) October 20, 2022
अग्रवाल ने बताया है, “Duratube के वक्त मेरी सफलता और नाकामी ने मुझे यह सीखा दिया कि विदेश में बिजनेस कैसे करना है। इसने मुझे बिजनेस का एक बुनियादी सिद्धांत भी सिखाया–अगर आप लक्ष्य पर पहुंचने में नाकाम हो जाते हैं तो आप यह जान जाते हैं कि अगली बार कैसे पहुंचना है। इससे आखिरकार मुझे बिजनेस के अधिग्रहण को सफलतापूर्वक करने में मदद मिली। एक ऑस्ट्रेलिया में और दूसरा आर्मेनिया में।”