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कोरबा, (सार्थक दुनिया) | छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं जेल विभाग रायपुर के संयुक्त तत्वाधन में एक अभियान ‘उन्मुक्त’ प्रारंभ किया गया है, जिसके अंतर्गत उन दोषसिद्ध सजायाफ्ता बंदियों को रिहा किया जायेगा जो राज्य शासन द्वारा बनाये गये नीति के अनुसार समय-पूर्व रिहाई हेतु पात्र हैं।
यह अभियान माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा एसएलपी प्रकरण क्रमांक 529/2021 पक्षकार सोनाधार विरूद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में दिये गये निर्देश के आधार पर प्रारंभ किया गया है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश एवं बिहार राज्य को यह दायित्व सौंपा गया है कि वे 01 अगस्त 2021 से पायलट प्रोजेक्ट को लागू कर पात्र दोषसिद्ध बंदियों को रिहा किये जाना हेतु आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री सिद्धार्थ अग्रवाल के अनुसार माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यपालक अध्यक्ष, सालसा के द्वारा न केवल इस अभियान की बड़ी बारीकी से निगरानी की जा रही है बल्कि इस बाबत् राज्य के समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष को आदेश दिया गया है कि वे जेल प्रशासन की आवश्यक रूप से मदद भी करें।
जानकारी के अनुसार यह अभियान 4 प्रमुख चरणों से गुजरेगा, जिसमें प्रथम चरण के अंतर्गत पात्र दोषसिद्ध बंदियों की पहचान करते हुये उनकी ओर से आवेदन प्रस्तुत कराने सहित आवश्यक दस्तावेज संकलित कर उन्हें रिहा किये जाने बाबत् कार्यवाही की जायेगी। किसी कारणवश यदि किसी पात्र बंदी का अवेदन निरस्त किया जाता है तब राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा ऐसे बंदियों की ओर से विधिक सहायता उपलब्ध कराकर अपील की कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
इससे पूर्व माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यपालक अध्यक्ष, सालसा के द्वारा रिट पिटीशन क्र. 78/2017 पक्षकार अमरनाथ विरूद्ध छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत जिला न्यायालयों में पदस्थ न्यायिक अधिकारियाें को पूर्व से ही यह निर्देश दिये जा चुके हैं कि वह दोषसिद्ध बंदियों की धारा 432 (2) दं0प्र0सं0 के अंतर्गत रिहा किये जाने के संबंध में अपना अभिमत दिये जाने की कार्यवाही 3 माह क्रे भीतर पूर्ण करेंगे।