प्रयागराज | योगी सरकार अस्पतालों में प्रसव को बढ़ावा देने के लिए 2005 से जननी सुरक्षा योजना चला रही है। इसके अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने वाली ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिए जाते हैं। एएनएम और आशा कार्यकत्रियों (ASHA Workers) को अस्पतालों में प्रसव कराने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। लेकिन सरकार की इस योजना को अधिकारी और कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं। प्रयागराज में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां डिलीवरी के लिए पैसे न मिलने पर महिला को अस्पताल से भगा दिया गया। पीड़ित महिला को सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।
यह मामला 15 अप्रैल का है। अहिराई बकसेड़ा एएनएम सेंटर की लापरवाही से ईंट भट्टे पर काम करने वाली एक गरीब महिला पुष्पा गौतम को सड़क पर बच्चे को जन्म देना पड़ा। सड़क पर महिला का प्रसव कराए जाने का मौके पर मौजूद किसी महिला ने वीडियो बना लिया जो कि सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। ग्रामीणों ने एएनएम सेंटर पर तैनात अनीता चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए। ग्रामीणों का आरोप है कि एएनएम ने पैसे मांगे। जब वह नहीं मिले तो उसने पीड़ित महिला को अस्पताल से भगा दिया। तमाम सुख सुविधाएं होने के बाद भी महिला का प्रसव सड़क पर कराना पड़ा जो कि शर्म की बात है। हालांकि, प्रसव के बाद महिला और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
वोट डालने पर नहीं हुआ इलाज
15 अप्रैल प्रयागराज में पंचायत चुनावों के लिए वोट डाले जा रहे थे। इस कारण सरकारी कर्मचारी और अधिकारी चुनावों में व्यस्त थे। लेकिन प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती महिला जब एएनएम सेंटर पहुंची तो उसे भगा दिया गया और एएनएम इस सेंटर से कहीं चली गई। वोट डालने जा रही महिलाओं ने एएनएम सेंटर से 20 मीटर की दूरी पर ही एक चादर का घेरा बनाकर महिला का सड़क किनारे प्रसव कराया।
एएनएम के खिलाफ खोला मोर्चा
ग्रामीणों का आरोप है कि एएनएम सेंटर पर पिछले सात सालों से अनीता चौधरी तैनात है और हर डिलिवरी के लिए पैसों की मांग करती है। ग्रामीण ने भी अब एएनएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं एएनएम अनीता चौधरी अपने ऊपर लगाये जा रहे आरोपों को गलत बता रही है। वह ग्रामीणों पर उन्हें बदनाम करने और फंसाने का भी आरोप लगा रही है।









