यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है। उन्होंने बताया कि किसान सभा महाधिवेशन में केंद्र और राज्य सरकारों की कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी संयुक्त आंदोलन को और मजबूत करने का संकल्प लिया गया। इन नीतियों के कारण पिछले तीन दशकों में चार लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है और ऋणग्रस्तता के कारण किसान समुदाय सर्वनाश के कगार पर पहुंच चुका है, क्योंकि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर फसलों के लाभकारी समर्थन मूल्य से आज भी वे वंचित हैं।
उन्होंने बताया कि किसान सभा के इस महाधिवेशन को राकेश टिकैत, अतुल अंजान और राजाराम सहित संयुक्त मोर्चा के विभिन्न किसान नेताओं ने भी संबोधित किया और देशव्यापी संयुक्त किसान आंदोलन को विकसित करने तथा दिल्ली की सीमाओं को जाम करने में किसान सभा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया, जिसके चलते तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ा है। सम्मेलन में सभी किसान नेताओं ने लाभकारी समर्थन मूल्य सहित जल–जंगल–जमीन के सवालों और अन्य लंबित मुद्दों पर नए सिरे से आंदोलन शुरू करने की सरकार को चेतावनी दी।