वृंदावन हॉल रायपुर में संकेत साहित्य समिति के तत्वावधान में डॉ. चितरंजन कर के मुख्य आतिथ्य, गिरीश पंकज की अध्यक्षता एवं बलदाऊ राम साहू, राकेश गुप्ता ‘रूसिया’, विजय मिश्रा ‘अमित’ के विशिष्ट अतिथि में अन्नदाताओं पर केन्द्रित काव्य गोष्ठी तथा जवाहर कर्नावट द्वारा ‘हिंदी का वैश्विक परिदृश्य’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. स्नेहलता पाठक, डॉ. सुधीर शर्मा एवं रामेश्वर शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे।
मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के बाद सभी अतिथियों का अंगवस्त्र, श्रीफल एवं नन्हें पौधे से स्वागत किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में विषय की प्रस्तावना देते हुए संकेत साहित्य समिति के संस्थापक एवं प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने स्वागत उद्बोधन के साथ संकेत साहित्य समिति, अन्नदाताओं पर केन्द्रित काव्य गोष्ठी एवं व्याख्यान की महत्ता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चितरंजन कर ने कहा कि कृषि कार्य सभ्यता का पहला चरण माना जाता है। कृषि की शुरुआत हुई तो सभ्यता आई । उन्नत कृषि कल्पना की देन है। दूसरे शब्दों में कहें तो कल्पना अविष्कार की जननी होती है। मुख्य अतिथि साहित्यकार गिरीश पंकज ने अन्नदाताओं पर केन्द्रित काव्य गोष्ठी की प्रशंसा करते हुए कहा कि साहित्यकार का दायित्व बनता है कि वह ऐसे अनछुए विषयों पर क़लम चलाएं, जिससे समाज एवं देश को लाभ हो। इस संदर्भ में उन्होंने किसानों के हितों की रक्षा के लिए की गई अपनी पद यात्रा का संस्मरण भी सुनाया। विशिष्ट अतिथि बलदाऊ राम साहू ने पोला त्योहार की पूजा पद्धति का सुन्दर चित्रण किया। राकेश गुप्ता ने किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या को भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं बताया एवं विजय मिश्रा अमित ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं किसानों के जीवन में पोला त्योहार की अहमियत को रेखांकित किया।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में वरिष्ठ साहित्यकार एवं संपादक जवाहर कर्नावट ने ‘हिंदी का वैश्विक परिदृश्य’ विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान देते हुए विश्वस्तर पर हिंदी के उन्नयन एवं विकास के लिए हो रहे प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला। सुषमा पटेल एवं पल्लवी झा रूमा के कुशल संचालन में रायपुर एवं आसपास से आए जिन पैंतीस से अधिक रचनाकारों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं, उनमें – डॉ. चितरंजन कर, गिरीश पंकज, डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, सुरेन्द्र रावल, आर.डी. अहिरवार, संतोष सिंह, रामचन्द्र श्रीवास्तव, बलदाऊ राम साहू, राकेश गुप्ता’रूसिया’, डॉ. दीनदयाल साहू, राजेन्द्र रायपुरी, डॉ. कोमल प्रसाद राठौर, गोपाल सोलंकी, शकुंतला तरार, डॉ.रविन्द्र सरकार, हरीश कोटक, पल्लवी झा, सुषमा पटेल, पूर्वा श्रीवास्तव, सुमन शर्मा बाजपेयी, सीमा पांडेय, नीलिमा मिश्रा, अर्चना श्रीवास्तव, दिलीप वरवंडकर, लवकुश तिवारी, भारती यादव मेघ, मन्नूलाल यदु,, छबिलाल सोनी, यशवंत यदु, माधुरी कर, प्रेमलाल पटेल, सोमेन्द्र यादव, ऋषि साव, रीना अधिकारी, गणेश दत्त झा एवं वीरेन्द्र शर्मा अनुज के नाम प्रमुख हैं।
पढ़ी गई रचनाओं के कुछ अंश बानगी के तौर पर देखिए –
● खेतों से आप इनकी मुहब्बत तो देखिए इन अन्न देने वालों की मेहनत तो देखिए हैं कर्ज़ के शिकार ये, होती नहीं बचत मिलती है कितनी कम इन्हें कीमत तो देखिए – आर डी अहिरवार
● कृष्ण मुरारी गिरधारी ने जिनके हित गोवर्धन ताना.. अन्नकूट त्यौहार बना फिर पूज्य उन्हें जग ने माना – सीमा पांडे
● अढ़हा किसान, मैं हर हंव अड़हा किसान , बनी भूती करके मैं खाथंव बूता नई जानव आन, रे संगी मैं हर हवं अड़हा किसान – छविलाल सोनी
● सिर पर कड़कती धूप है, दूर दूर तक कोई छांव नहीं, पैरों तले सुलगती है जमीन, दिखता कहीं भी कोई गांव नहीं। – नीलिमा मिश्रा
● पौ फटते जो पहले जागे। कर्म रखे जो सबसे आगे।। पड़े बिवाँईं फिर भी चलता। पेट सभी का उससे पलता। – पल्लवी झा (रूमा)
● दिनभर काम करें, माथे से पसीना झरे, धज्जियाँ उड़ाते नेता, कृषि अनुदानों की। सबके लिए है अन्न, उपजाता अन्नदाता, कर्ज का भी बोझ ढोता, चिंता है लगानों की। – सुषमापटेल
● न बेमुरव्वत, न बेवफा वो, तो क्यूँ अचानक, ही डर गया वो। न जाने सहमा, हुआ सा क्यों वो, हुआ है मातम, कि मर गया वो || – शकुंतला तरार
● पत्तियों की जगह तमगे तनों पर चिपकी वर्दियां, सस्ती जिंदगी, अनजान पर न्योछावर, आज कोयल रोई। – संजीव ठाकुर
● पुरखा के सुरताल कहाँ ले पाबे गोरसी के आगी, डोकरा बबा के पागी, कहाँ ले पाबे – यशवंत यदु
● किसानों की श्रीवृद्धि, देश का अभ्युदय। हे देशके अन्नदाता करदो किसी क्रांति का उदय।। – डॉ. रवींद्र नाथ सरकार
● वही हैं धरती के भगवान। तरह-तरह की फसल उगाते (२) कहते जिन्हें किसान – राजेंद्र रायपुरी
● साहूकार के ऋण न चुका पाने की बेबसी तोड़ देती है किसान को लटक जाता है अपने ही खेत के किसी पेड़ पर छोड़ देता है पीछे एक शून्य…… – पूर्वा श्रीवास्तव
● जावत हस तँय ससुराल राख लेबे दुनों कुल के लाज – मन्नुलाल यदु
● भारत का बच्चा-बच्चा अब आगे आएँ एक साथ सब मिलकर गौरव-गाथा गाएँ। विविधा में भी एकता के गीत दुहराएँ फिर से एक अखंड भारत नया बनाएँ। – बलदाऊ राम साहू
● किस्मत अन्नदाता की कोई लिखता नहीं जो तिल-तिल रोज मरता है मगर मरता नहीं ना वाजिब दाम देते हो न वाजिब तौल है होता कत्ल है वो खुदकुशी करता नहीं – राकेश गुप्ता, रूसिया
● जब से छूटा गाँव, गाँव को भूला नहीं कभी मैंं। वो पीपल की छाँव, छाँ को भूला नहीं कभी मैं। – डॉ. चितरंजन कर
● ओ धरती के भगवान, हमारे प्यारे बगड़े किसान। अरे तू मत ले अपनी जान, देख लज्जित है हिंदुस्तान। – गिरीश पंकज
● आख़िरी साँस तक प्रण निभाता है वो, प्राण रक्षक है वो अन्नदाता है वो। देखकर लहलहाती फसल खेत में, भूलकर सारे दुख खुश हो जाता है वो। – डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
● जतन कर लेथन ए माटी म छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा । हमर किसान मन के तिहार जुरमिल मना लेथन तिहार पोरा। – डॉ. दीनदयाल साहू
कार्यक्रम के अंत में सीमा पांडे ने आमंत्रित अतिथियों एवं रचनाकारों के प्रति आभार व्यक्त किया।
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को दिए गए मेडल और प्रशस्ति पत्र
सिंघीतराई, (सार्थक दुनिया न्यूज)। वेदांता लिमिटेड छत्तीसगढ़ थर्मल पावर प्लांट (व्हीएलसीटीपीपी) ने अपने...