प्रतिभा: मंडाला आर्ट से मनमोहक तस्वीरें बना रही रायगढ़ की होनहार बेटी शिवानी

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By सार्थक दुनिया न्यूज़ | 08 मार्च 2022 रिपोर्ट: लक्की गहलोत, रायगढ़


रायगढ़ | कोरोना काल के दौरान बच्चों की दुनिया जहां सोशल मीडिया, डिजिटल गेम और टेलिविज़न की चकाचौंध में सिमट गई थी वहीं रायगढ़ जिला मुख्यालय के दरोगा पारा निवासी होनहार बेटी शिवानी सिंह गहरवार ने मंडाला आर्ट को ही शौकिया तौर पर अपना टाइम पास बनाया। उसने अपना अधिकांश समय इस कला में निपुण होने में लगाया।
इस आर्ट में उसे बेहतरीन सफलता प्राप्त हुई। उसने लोगों को इस कला के माध्यम से समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए कलात्मकता व रचनात्मकता से जुड़ने का संदेश भी दिया।
आपको बता दें कि शिवानी सिंह एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखती हैं। मजे की बात यह है की शिवानी सिंह ने पहले स्वयं को इस कला में बखूबी पारंगत किया उसके बाद उन्होंने अपने आसपास के क्षेत्र में निवासरत बच्चों को इस कला को अपनाने के लिए प्रेरित किया। वर्तमान समय में कला के प्रति पूरी तरह समर्पित इस प्रतिभाशाली युवती शिवानी सिंह गहरवार ने बहुसंख्य बच्चों को इस आर्ट की ओर मोड़ा है।
उसके द्वारा बनाई जा रही मंडाला आर्ट की तारीफ़ सिर्फ रायगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हो रही है। कागज के पन्नों पर उकेरकर जैसे ही इसे सोशल मीडिया में प्रवाहित किया जाता है, हजारों लोग इस बेजोड़ कला की तारीफ़ के फूल बरसाते दिखते हैं। प्रारंभिक दौर में जब शिवानी ने मंडाला आर्ट से अपना पहला चित्र बनाया और उसे अपने परिजनों को दिखाया, उसका पूरा परिवार उसकी कलाकारी का कायल हो गया।

बताया जाता है की शिवानी सिंह को बचपन से ही पेंटिंग का शौक रहा है। अब तक वह इस तरह की दर्जनों तस्वीरें बनाकर लोगों को भेंट कर चुकी है। उसे मेहंदी रचने-रचाने में भी महारत हासिल है। इस कला के बारे में उसने बताया कि आप किसी भी आकार में मंडाला बनाने के साथ उसमें किसी भी रंग का उपयोग कर सकते हैं। मंडाला आर्ट बनाने के दौरान धैर्य की गहन आवश्यकता होती है। मंडाला आमतौर पर सममित पैटर्न में तैयार किए जाते हैं और आप इसे बनाते समय रंगों और पैटर्न के साथ प्रयोग कर सकते हैं। आपको मंडाला बनाने के लिए बहुत सारी वस्तुओं की ज़रूरत नहीं है। आप बस एक कागज़ और कलम के साथ भी मंडाला बनाना शुरू कर सकते हैं। विद्वानों के अनुसार भारतीय लोक कला में मंडाला आर्ट रंगोली का ही एक रूप है । इसे बनाने से शांति की अनुभूति होने के साथ जहां कौशल में आशातीत विकास होता है वहीं इसमें धैर्य एवं एकाग्रता का अहसास भी प्रकट होता है ।

 

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