कोरबा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कॉ. पवन कुमार वर्मा ने जारी अपने बयान में दिल्ली के उप-राज्यपाल द्वारा 14 वर्ष पुराने मामले में देश की चर्चित लेखिका/ सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के खिलाफ यूएपीए लगाने की अनुमति को निंदनीय कृत्य बताया है। उन्होंने उन पर लगाए गए इस अभियोजन को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की है।
कामरेड वर्मा ने कहा कि लोगों को अपने विचार व्यक्त करने से नहीं रोका जा सकता। हमारा देश सभी लोगों को अपनी बात कहने का पूरा मौका देता है। उन्होंने कहा कि 14 साल बाद अरुंधति रॉय पर यूएपीए लगाये जाने के इस घटनाक्रम में दिल्ली के हुक्मरानों ने जनता के हक में उठने वाली आवाजों को दबाने की नई मुहिम का आगाज़ कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अरुंधति रॉय पर मुकदमा चलाने, झूठे केस में उलझाने, विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने, सामाजिक/राजनीतिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों एवं लेखकों के उत्पीड़न की पूर्व से चली आ रही नीति का ही हिस्सा प्रतीत होता है। असहमति को दबाने और भाषण को आपराधिक बनाने के लिए आतंकवाद विरोधी कानूनों का इस्तेमाल भी बेहद चिंताजनक है।
जबकि लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने मोदी सरकार द्वारा की जा रही दमन की अलोकतांत्रिक कार्रवाई को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। लेकिन इससे कोई सबक नहीं लेते हुए केंद्र सरकार आज भी अपनी गलत नीतियों के विरोध में उठने वाले विरोध के स्वर को कुचलने में लगी हुई है।