सार्थक दुनिया न्यूज़, कोरबा | 25 फरवरी 2022
कोरबा (सार्थक दुनिया) | जिले के कोसाबाड़ी क्षेत्र में संचालित हो रहे गीता देवी मेमोरियल अस्पताल जिसे कुछ दिनों पहले सतरेंगा निवासी एक पहाड़ी कोरवा महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत और उसके बाद उठे बवाल के बाद जारी प्रशासनिक आदेश के विरुद्ध लगाई गई याचिका को संज्ञान में लेते हुए माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने आज स्थगन आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के बाद गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में सभी चिकित्सकीय सुविधाएं न केवल पूर्व की तरह शुरू हो जाएगी बल्कि जिले के लोगों को चिकित्सा का समुचित लाभ भी मिलने लगेगा।
गौरतलब है कि 12 फरवरी 2022 को एक पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला की गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में इलाज के दौरान आकस्मिक मौत हो गई थी, जिसके बाद उठे बवाल के बाद मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी ने कलेक्टर कोरबा श्रीमती रेनू साहू द्वारा अनुमोदित आदेश के तहत जांच प्रक्रिया पूर्ण होने तक अस्पताल को सील कर दिया था। कलेक्टर कोरबा ने पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत एवं लापरवाही जैसे गंभीर आरोप की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था जिसे 3 दिनों के भीतर जांच प्रक्रिया पूर्ण कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था लेकिन यह कार्य पूर्णता तक नहीं पहुंच सका। भगवान भरोसे चल रही सरकारी प्रक्रिया ‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए घटना के 2 हफ्ते बाद भी पूर्ण नहीं हो पाई।
इस मुद्दे पर गीता देवी मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासन के समक्ष सही स्थिति को रेखांकित करते हुए अपनी बात भी रखी। जिस पर उन्होंने जांच प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग करने की बात भी कही लेकिन उनकी तरफ से बंद पड़े गीता देवी मेमोरियल अस्पताल को खोलने के लिए कोई राहत मिलती नजर नहीं आई।जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हॉस्पिटल सील किए जाने के प्रशासनिक आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां से उन्हें प्रशासनिक आदेश के विरुद्ध स्थगन प्राप्त हो गया है। हाई कोर्ट से मिले स्थगन के बाद अब गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में सभी चिकित्सकीय सेवाएं शीघ्र ही पूर्ववत प्रारंभ हो जाएंगी।
अस्पताल की मैनेजिंग डायरेक्टर संध्या कश्यप ने ‘सार्थक दुनिया’ को बताया कि पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला की मृत्यु के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती गई थी। और ना ही वह रिफरल केस था। महिला अपने इलाज के लिए अपने परिजनों के साथ स्वयं ही अस्पताल पहुंचकर ऐडमिट हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी चिकित्सक मरीज की बेहतरी के लिए ही प्रयास करता है, बावजूद इसके सब कुछ उसके हाथ में नहीं रहता।
सुश्री कश्यप ने यह भी बताया कि गीता देवी मेमोरियल अस्पताल लाइसेंस प्राप्त है, जिसका नियत समय पर ‘रिन्यूअल’ करवाना अनिवार्य होता है और वह अभी प्रक्रियाधीन है। बहरहाल, हाईकोर्ट के आदेश के बाद गीता देवी मेमोरियल अस्पताल पुनः प्रारंभ होने जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश की तामिली हेतु अधिवक्ता कमलेश साहू के माध्यम से प्रशासन को सूचना प्रेषित कर दी गई है।