अभिनव: जिले के पुलिसकर्मी ड्यूटी की शुरूआत करने से पहले गाएंगे राज्यगीत, सभी थानों-लाइन में रोज होगी छत्तीसगढ़ महतारी की आराधना, एसपी भोजराम पटेल ने कहा- इससे प्रदेश के प्रति बढ़ेगी श्रद्धा

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सार्थक दुनिया, कोरबा | 13 मार्च 2022

कोरबा | आज रविवार की सुबह 10:30 बजे कोरबा जिले के सभी थानों और रिजर्व पुलिस लाइन में अपनी तरह का एक अद्भुत नज़ारा सामने दिखाई दिया। यहां मौजूद जवानों ने जब छत्तीसगढ़ प्रदेश के राज्यगीत ‘अरपा पैरी के धार’ का सस्वर गायन किया तो वहां उपस्थित सभी लोग मंत्रमुग्ध हो उठे। ऐसा ही नज़ारा अब काेरबा जिले के सभी पुलिस थानों, कार्यालय में आपको रोज देखने को मिलेगा। आपको बता दें कि पुलिस विभाग में राज्य गीत से ड्यूटी की शुरुआत करने वाला कोरबा प्रदेश का पहला जिला होगा।

कोरबा के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने जिले के
सभी थानों और रिजर्व पुलिस लाइन में अब सुबह रोज़ाना गणना के निर्धारित समय पर राज्य गीत गायन के निर्देश जारी किए हैं। शनिवार को जारी किए गए इस निर्देश/आदेश के बाद रविवार से इस गौरवमई पहल की शुरुआत हो गई है। इसके तहत आज पुलिस जवानों ने अपने ड्यूटी स्थल पर एक साथ राज्य गीत का गायन किया।


इस अवसर पर एसपी भोजराम पटेल ने कहा कि, “छत्तीसगढ़ राज्य हमारी मां के समान है। ड्यूटी की शुरुआत में ही यदि मां की वंदना की जाए तो इससे अच्छी बात भला और क्या होगी। छत्तीसगढ़ का राज्य गीत हमारे प्रदेश की अस्मिता का प्रतीक तो है ही, साथ ही इसके गायन से बंधुत्व, प्रेम और अपने राज्य के प्रति अगाध श्रद्धा का भाव भी जागृत होता है।” श्री पटेल ने यह भी बताया कि कानून व्यवस्था का पालन करते समय एवं अन्य आवश्यक ड्यूटी के दौरान राज्यगीत के गायन का आदेश प्रभावी नहीं होगा।

राज्य सरकार के निर्देश पर सभी सरकारी कार्यक्रमों की शुरूआत छत्तीसगढ़ के राज्यगीत से ही की जाती है। इसी तारतम्य में अब कोरबा एसपी ने भी प्रतिदिन ड्यूटी गणना के समय राज्यगीत गायन के निर्देश जारी किए हैं। आज पहले दिन कोरबा के रिजर्व पुलिस लाइन, 16 थाना, 04 चौकी और 07 सहायता केंद के जवानों ने अपने-अपने कार्यस्थल पर राज्यगीत का गायन किया।

वर्ष 2019 में राज्यगीत घोषित हुआ था साहित्यकार नरेंद्र वर्मा का यह गीत
दिवंगत साहित्यकार नरेंद्र वर्मा का लिखा हुआ छत्तीसगढ़ महतारी का महिमा गीत ‘अरपा पैरी के धार’ इस अंचल में दशकों से लोकप्रिय रहा है। राजधानी में 2019 के राज्योत्सव में राज्य सरकार ने इसे राज्यगीत का दर्जा प्रदान किया। उसके बाद से ही सरकारी आयोजनों की शुरुआत में यह गीत बजाया जाता है। बाद में, राज्यगीत के रूप में इसका मानकीकरण हुआ और पहले दो छंदों को ही राज्यगीत में शामिल किया गया।

 

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